हमें जाँ से प्यारा हमारा वतन है..
तिरंगे के नीचे न होती थकन है।
हमें जाँ से प्यारा हमारा वतन है।।
यहीं पर निशानी मिली सभ्यता की,
कहीं दिव्यता की,कहीं मित्रता की,
नहीं द्वेष कोई किसी से किसी को-
रही है रिवायत यहाँ एकता की।।
कहीं पर अजानें, कहीं पर भजन है।
हमें जाँ से प्यारा हमारा वतन है।।
चले चाल अपनी सियासत कभी जब,
लगे रंग में ढूँढने जाति-मज़हब,
उसे याद रहता नहीं एक पल भी –
कि हिन्दू-मुसलमाँ,न औरों से मतलब।।
ये तहज़ीब अपनी तो गंगो-जमन है।
हमें जाँ से प्यारा हमारा वतन है।।
तिरंगे को झुकने कभी हम न देंगे,
हिफ़ाज़त में इसकी रहे हैं, रहेंगे,
अदू हिन्द का “अश्क” इतना समझ ले-
वतन पर मरे हैं,वतन पर मरेंगे।
हथेली पे जाँ है तो सर पे कफ़न है।
हमें जाँ से प्यारा हमारा वतन है।।
@ अशोक कुमार “अश्क चिरैयाकोटी”