हमें क्या पता मौत को गले लगाने जा रहे थे….😥😥😥
हमें क्या पता मौत को गले लगाने जा रहे थे….😥😥😥
ट्रेन को प्लेटफार्म पर आता देख,
ऐसा लगा जैसे वक्त से घर जा रहे थे,
इंतजार करते-करते थके जा रहे थे,
हम दोड़कर ट्रेन में चढे जा रहे थे,
हमें क्या पता हम मौत को गले लगा रहे थे।
इतनी धक्का-मुक्की के बाद,
अपनी सीट के लिए लड़े जा रहे थे,
सीट मिलने के बाद बडे इत्मीनान से,
फोन लगाकर परिजनों से बता रहे थे,
चंद घंटों में पहुंचने वाले है हम ,
सुनकर आवाज बच्चे भी चहचहा रहे थे,
हमें क्या पता हम मौत को गले लगा रहे थे।
शरीर में थकान, अधरों पर मुस्कान,
दिल में सजा के अरमान,
हम कितने दिनों बाद ,
अपने परिवार से मिलने जा रहे थे,
हल्की सी नीद के झोंकों के साथ,
हमें क्या पता हम मौत को गले लगा रहे थे।
हरमिंदर कौर, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)