*हमें कर्तव्य के पथ पर, बढ़ाती कृष्ण की गीता (हिंदी गजल/ गीतिका)*
हमें कर्तव्य के पथ पर, बढ़ाती कृष्ण की गीता (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1)
हमें कर्तव्य के पथ पर, बढ़ाती कृष्ण की गीता
भरा मानस में जो भ्रम है, भगाती कृष्ण की गीता
2)
मनुज को बॉंधते आए, सदा से मोह के बंधन
हृदय का मुक्त मानस कर, जगाती कृष्ण की गीता
3)
सफल जीवन उसी का है, जो खुद को जान लेता है
हमारे आत्म का परिचय, कराती कृष्ण की गीता
4)
पुनर्जन्मों के चक्कर में, फॅंसे रहते हैं सब प्राणी
मरण के बाद अक्षरधाम, लाती कृष्ण की गीता
5)
यहॉं कुछ भी नहीं अपना, न तृण-भर भूमि का टुकड़ा
रखो अपनत्व मत इससे, बताती कृष्ण की गीता
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451