हमें आशिकी है।
तुम्हारी हर कमी को नजर अन्दाज कर रहे है।
हमको आशिकी है तुम्हीं से तुमसे इश्क कर रहे है।।1।।
पत्तों से जाकर कोई तो पूंछे दर्द बिछड़ने का।
गुनाह क्या है उनका जो यूं साख से गिर रहे है।।2।।
हमको छोड़के सब ही मंजिल को पा गए है।
तन्हा कब से सफर में हम अकेले चल रहे है।।3।।
कोई तो आकर पूंछे हमसे ख्वाहिश हमारी।
सब के सब बस अपनी अपनी ही कह रहे है।।4।।
वो सब राजदार थे मेरे दिल के बड़े करीब।
बनकर रकीब जो मेरी जिन्दगी पर हंस रहे है।।5।।
जिनको माना था हमने मुस्तकबिल अपना।
वही आज हमारी बर्बादी पर जश्न कर रहे है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ