हमारे शब्द ईश्वर का वरदान है शायद:)
प्रेम की भाषा सदैव मौन होती हैं या कुछ बातें बताने की जरूरत नहीं होती या फिर शब्दों से ज्यादा ताकत खामोशी में होती हैं। ये सारी बातें ना मेरी समझ में नही आती मुझे समझ आते हैं शब्द…..
मैं सोचती हूं अगर खामोशी में इतनी ताकत होती हैं तो इंसान को शब्दो की जरूरत क्यों पड़ी होगी क्यों इतनी सारी भाषाएं और बोलियां बनी होंगी?
अगर प्यार खामोशी समझ जाता है कि तो दो लोगो के बीच बातें बढ़ने से प्यार कैसे होता होगा?
शब्दों में इतनी ताकत होती है कि वो रूठे हुए लोगो को मना ले, जिनसे हमारा नाता नहीं है उन्हें अपना बना ले और शब्द ही तो जो सफर में अनजानों से भी हमारी पहचान बना देते हैं….
और जिंदगी के इस सफर में शब्द ही हमे हराते है, जिताते है इन से हम लोगो को पाते हैं, खोते हैं कहा मिटाया नही जाता अगर वो मौन होता तो शायद सामने वाला समझ ही नही पाता….
शब्द ही वो जरिया है जिससे हम क्या सोचते है ये हम दुनिया को बता सकते है……
हर बात का कहा जाना शायद जरुरी नही होता होगा पर जब कुछ भी ऐसा लगे कि इस बात से दूसरे को खुशी मिलेगी तो उसे जरूर कहना चाहिए , शब्द ऐसे जो सुनने वाले को सुकून दे , मन में एक प्यारे अहसास की तरह संजो सके कोई उन्हें और वजह बने तुम्हारे शब्द किसी के चहरे पर एक खूबसूरत मुस्कुराहट की:)
सोniya:)