हमारे मां-बाप की ये अंतिम पीढ़ी है,जिनके संग परिवार की असली
हमारे मां-बाप की ये अंतिम पीढ़ी है,जिनके संग परिवार की असली छवि बसी है।संयुक्त परिवारों की वो मीठी यादें,जहां रिश्तों में प्यार और सम्मान का रंग चढ़ा है।।
रीति-रिवाजों की जो तासीर उन्होंने पाई,संस्कार और सादगी की जो छाप वो छोड़ गए।शर्म, सम्मान, और निस्वार्थ अपनापन की बात,उनके घर की हर गली और हर एक बात।।
उनकी पीढ़ी ने देखा प्रेम का सच्चा रूप,जैसे हर रिश्ते में थी दोस्ती की धूप।संयुक्त परिवारों में भाईचारे का संगम था,जहां हर खुशी और ग़म साथ निभाया जाता था।।
मां-बाप की आँखों में वो चमक है,जो पुरानी परंपराओं की झलक दिखलाती है।उनके पास थी वो सच्ची दोस्ती की धारा,
जो आज की दुनिया में कहीं खो गई हमारी जिंदगियों में प्यारा।।
जब घर में एक ही छत तले रहते थे सभी,रिश्तों की मिठास से भरे थे उनके सभी दिन।उनकी आँखों में छिपी है एक अमूल्य धरोहर,जो हमें सिखाती है रिश्तों की गहराई और प्यार की भरपूर असर।।
आज के समय में परिवार बंटे हैं,वो पुरानी खुशियाँ और संबंध कहीं खोते हैं।हमारे मां-बाप की ये अंतिम पीढ़ी,हमें याद दिलाती है एक प्यार भरी, सच्ची जिंदगी की।।
उनके अनुभवों में जो सिखने को मिला,रिश्तों की गहराई और सच्चे प्यार का महल।हमारी आज की पीढ़ी को चाहिए इसको समझना,पुरानी आदतों को अपनाकर, रिश्तों को संजोना।।