हमारे अनन्त प्रेम का साक्षी
गमों का साया है प्रिये कटती नहीं रात
अपने घर मे पराए से होने की ये बात
जिंदगी की शतरंज़ के हम दो प्यादे है
इस खेल में होती प्रिये, शह और मात
मजबूत इरादों का हूँ मैँ सेनानी ठहरा
कोरोना काल ने फैलाई हुई है बिसात
युद्ध में मेरे दिमाग के घोड़े बुंलन्द कर
थाम लेना गिरते हौसले दे हाथ मे हाथ
ये नई रीत समाज की मुँह फेरे रहना है
कर अर्पण हर पल ,दे प्यार की सौगात
याद आती बरबस तेरी तो कैसे बताऊँ
विदाई की बेला करती है आँखें बरसात
चीर डालते चल दोनों मिल कर अंधेरा
दीप मन मे विश्वास के जलाकर हर रात
ईश्वर पर आस्था रखना कर के तू विश्वास
बच्चें ना हो जाये परेशां करना उन्हें शांत
प्रफुल्लित त्त्यागी मधुर भाषनी आस तुझसे
सुखों को त्यागकर करना दिल से मुलाक़ात
शपथ आज ,मेरी देशसेवा में राजदां रहना
हमारे अनन्त प्रेम के साक्षी रहें ईश्वर साक्षात