Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2024 · 1 min read

हमारी सोच में तुम थे,

हमारी सोच में तुम थे,
हमें सोचा नहीं तुमने ।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

1 Like · 17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
Rj Anand Prajapati
सपना
सपना
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
Surinder blackpen
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें
कवि रमेशराज
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
Shweta Soni
उन पुरानी किताबों में
उन पुरानी किताबों में
Otteri Selvakumar
एक प्रार्थना
एक प्रार्थना
Bindesh kumar jha
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
गुमनाम 'बाबा'
एक अलग सी चमक है उसके मुखड़े में,
एक अलग सी चमक है उसके मुखड़े में,
manjula chauhan
संवेदना
संवेदना
Ekta chitrangini
शराब
शराब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
3268.*पूर्णिका*
3268.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
हिमांशु Kulshrestha
माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
Subhash Singhai
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
अपनी निगाह सौंप दे कुछ देर के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मुक्तक -
मुक्तक -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
* मुस्कुराने का समय *
* मुस्कुराने का समय *
surenderpal vaidya
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
VINOD CHAUHAN
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
shabina. Naaz
There are opportunities that come and go, like the trains on
There are opportunities that come and go, like the trains on
पूर्वार्थ
"प्रश्न-शेष"
Dr. Kishan tandon kranti
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
Keshav kishor Kumar
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
Ajit Kumar "Karn"
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय प्रभात*
सजी कैसी अवध नगरी, सुसंगत दीप पाँतें हैं।
सजी कैसी अवध नगरी, सुसंगत दीप पाँतें हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
अब गुज़ारा नहीं
अब गुज़ारा नहीं
Dr fauzia Naseem shad
Loading...