हमारी संस्कृति
संस्कृति हमारी दुनियां के मन भायी है।
इसीलिए सत्य शिव सुंदर कहायी है।।
त्याग क्षमा तप दान गरिमा हमारी है।
संकल्प धैर्य करुणा मन मे समायी है।।
सत्यमेव जयते और अतिथि को देव कहें ।
अहिंसा की भाषा सारे जग को पढ़ाई है।।
सिर कट जाए पर वचन ना भंग करें।
तपोबल की पौध सदियों से उगाई है।।
माँ मातृभूमि हमें जान से भी प्यारी है।
इसकी सेवा में बाज़ी जान की लगाई है।।