“हमारी दुनियादारी”
बचपन की है यारी निराली,
कुछ खटी,कुछ मिठी वाली.
स्कूल मे ही साथ साथ जाना,
अपना bag दोस्तो को थमाना…
अलबेला ग्रूप था हमारा,
स्कूल मे कम और,
ग्राउंड मे जादा रहाणा,
और दोस्तो के साथ मजा करते रहना…
छोटी छोटी बातो पर, झगड़ते रहते थे,
किसी दुसरे ग्रुप कुछ कहा तो.
साथ खडे होते थे,
सब एक दुसरे पे जान छिडकते थे…
क्लास मे टिचर जब पडाया करते थे,
पीछे से हम कागज के, प्लेन उडाया करते थे.
लडकिया हमारा नाम बताया करती थि,
उस दिन हमारी जमके पिटायी हुवा करती थि…
उसी दिन से हमारा,
लडकियो के साथ 36 का आकडा था.
उन लडकियो का चेहरा,
हमे आँख नही भाता था…
प्यार के नाम पर हम,
सब अनलकी रहते थे.
भूल से अगर कोयी पसंद आयी तो,
सब उसपे हि मरते थे…
पर प्यार के कारण हमारी,
कभी यारी नही तुटी.
प्यार को छोड दिया पर,
यारी नही छोडी…
पर पक्के दोस्त सिर्फ अब,
मोबाइल मे हि रह गये.
अब हमारी दिल दोस्ती दुनीयादारी,
अब whatsAap पे आ गयी…