हमारी चाहत आई है।
उन्हें कद्र ही नहीं हमारे प्यार की,
जिनके नाम हमने ये जिंदगी कर दी
कितने अरसे से उनके दीदार को तरसते रहे,
बड़ी इज्जत से उन्होंने बेइज्जती कर दी।
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हो सकता है इस चेहरे से उन्हें नफरत हो,
पर हमारे दिल को इक नज़र देख लेते।
एहसान होता अगर एक बार भी मुड़कर,
हमें भी वो जान ओ जिगर देख लेते।
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बड़ी मुद्दतों से उनके दीदार की कोई आहट आई है,
हम हर किसी को कहते फिर रहे है, हमारी चाहत आई है।
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