हमारा मन अर्जुन है और आत्मा श्री कृष्ण
जो चाहते हैं कभी होता नहीं या मिलता नहीं और जो मिलता है वो हम चाहते नहीं या चाहते भी हैं मिलता भी है पर कभी संतुष्ट नहीं होते हम या होना नहीं चाहते..बस मन में होता है एक अन्तर्रद्वन्द..खुद से ही खुद की लडाई..कभी जीत जाना कभी हार जाना..हार कर फिर बुलंद होंसले के साथ खडे हो जाना और ईश्वर के सामने घुटने टेक देना और उसने जो दिया वो सच्चे मन से स्वीकार करने के लिये हाथ जोड़कर अपने अन्तर्रमन से बातें करना और शुक्रिया करना..सही रास्ते पर चलने के लिये अपने आपको मज़बूत करना..अपने जीवन के धर्मयुद्ध में हमारा मन अर्जुन है और हमारी आत्मा श्री कृष्ण है..हम अपने सारथी खुद ही तो हैं..बाकी लोग गुमराह कर सकते हैं..हमारी आत्मा नहीं..हमें ही अपने लिये अच्छा बुरा तय करना है..हर इंसान जो इस ज़िन्दगी के सफ़र में हमसे मिलता है..कोई ना कोई कारण तो ज़रूर होता है उसके मिलने का..तभी तो लोगों के मिलने से जीने की दिशा और दशा दोनों बदल जाते हैं..नज़रिया बदल जाता है..ज़िन्दगी कभी आसान नहीं होती उसे आसान बनाना पड़ता है कभी बर्दाश्त करके..कभी माफ़ करके..कभी नज़रअन्दाज़ करके..पर ये मन फ़िर भी बहुत जटिल है..कभी कभी बिल्कुल नहीं सुनता..परंतु आत्मा रूपी श्री कृष्ण हमेशा यही कहते हैं कि बस अपने आपको मज़बूत बनाये रखना है..जीवन में कभी किसी की ज़रूरत नहीं होनी चाहिये क्योंकि ज़रूरत अक्सर इंसान को तोड़ कर रख देती है..क्योंकि हर इंसान हमारे नज़रिये से किसी समस्या को देखे ये भी तो ज़रूरी नहीं है.. हंसते रहो..हंसाते रहो..दुनिया सिर्फ़ खुशी में हमारे साथ होती है..ईश्वर पर विश्वास बनाये रखना है वो सारथी हमें कभी गिरने नहीं देगा..ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है..बस अपने को ज़िन्दादिल और खूबसूरत बनाये रखने का प्रयास करना है ??
© अनुजा कौशिक