हमारा मजदूर
मजदूर ही मजबूर और सारे जगत की शान रे।मजदूर के बल पर टिका सारा हिन्दुस्तान रे।।अपना काम समय से करता ।नही किसी से है डरता। आशा नही कि करता अपने सम्मान की। मजदूर के बल पर टीका सारा हिंदुस्तान रे। सर्दी गर्मी सब कुछ संहिता फिर भी हमेशा खुश रहता। नहीं किसी से कोई गिला है सब ही एक समान रे। मजदूर के बल पर टिका सारा हिंदुस्तान रे। अपना शोषण कर आता रहता। किसी के सामने फिर भी ना रोता। धन्नो की नजरों में फिर भी ना इंसान रे। मजदूर के बल पर टिका सारा हिंदुस्तान रे।।