हमारा जहां
** हमारा जहां **
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तुम जहाँ मैं वहाँ,
हो हमारा जहां।
प्रेम मन – पटल पर,
मिट न जाए निशां।
खो गये तुम कहीं,
तुम्हें ढूंढू कहाँ।
तुम बिना कुछ नहीं,
बस आख़री बयां।
जादू भरी नज़र,
रग – रग हुई रवां।
बदन चाहे गिरा,
दिल हमेशा जवां।
मनसीरत कहता,
तुम हो नूरजहाँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)