हमारा चांद आया है
श्रृंगार पर एक अदनी सी कोशिश
हमारा चाँद आया है कि बागों में खिली कलियाँ
बहारों ने सजाया है कि बागों में खिली कलियाँ
हंसीं चेहरो की दुनिया में मेरा साजन है नंबर वन
ख़ुदा मेकअप कराया है कि बागों में खिली कलियाँ
उसे कहना बहुत है बात दिल की है मेरे यारो
हंसीं रब ने बनाया कि बागों में खिली कलियाँ
बसा आंखों में जंगल है कहीं खोया रहूं हरदम
जलवा बिछाया है कि बागों में खिली कलियाँ
पड़े भ्रम में सभी बादल खुला फिर देख के जूड़ा
कहां बादल ये छाया है कि बागों में खिली कलियाँ
छलकता पाक दरिया की रवानी की जवानी है
अभी घूंघट उठाया है कि बागों में खिली कलियाँ
बदन कमलों की कलियों-सा धवल पावन भी मुखड़ा है
बड़े भागों से पाया है कि बागों में खिली कलियाँ
अनिल कुमार ”निश्छल”
शिवनी
हमीरपुर
बुंदेलखंड