” हमारा कूप मंडूक ग्रुप “
(एक लघु व्यंगात्मक कथा )
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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“आज फेसबुक के रंगमंच पर ढोल, नगाड़ा, शहनाई के धुनों ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगे !
लोगों का हुजूम बढ़ने लगा, धीरे -धीरे कला पारखी भी पहुँच गए। उत्सुकता बढ़ती जा रही थी, उन दर्शकों में किसी ने कहा —
“अरे भाई, आज क्या बात है ? कोई महान कलाकार आने वाले तो नहीं ?”
दूसरे ने कहा —
“हमें तो पता नहीं, हम तो संगीत के धुनों पर खींचे चले आये।
अब देखिये आगे -आगे होता है क्या ?”
रंगमंच रंग बिरंगी रौशानिओं से जगमगा रहा था, चार स्टेज माइक लगे हुए थे, चार सजी हुयी कुर्सियाँ भी लगीं हुईं थीं। उन कुर्सिओं के पीछे ये सारे संगीतकार अपनी कौशलता के प्रदर्शन में लगे थे। एक क्षण संगीत थमा, लगा कोई दिव्य कलाकार का आगमन हो गया, सब खड़े होकर देखने लगे। एक युवक और एक युवती का प्रवेश होता है, तालियाँ बजने लगतीं हैं। एक बार फिर ढोल, नगाड़ा और शहनाई धुन उनके स्वागत में गूंजने लगती हैं। उन युवक युवती को माला संयोजक और संयोजिका पहनती हैं, माल्य अर्पण के बाद दोनों मुख्य अतिथि कुर्सी पर बैठ जाते हैं।
संयोजक महोदय स्टेज माइक के सामने आकर कहते हैं —
” हेल्लो ..हेल्लो, माइक टेस्टिंग, माइक टेस्टिंग 1…2…3 क्या मेरी बात आप लोगों तक पहुँच रही है ?”
” हाँ भाई, हाँ पहुँच रही है “–भीड़ में आवाज़ आयी।
फिर क्या था संयोजक जी की बांछे खिल गयी और बोलने लगे —
“हाँ तो फेसबुक के भाईयों और बहनों। आज हमारे भाग्य खुल गए, हमारे बीच दो महान हस्तियाँ पधारे हैं।
क्या संयोग है ? एक का नाम कृष्ण है और दूसरे का नाम राधा। देखिये हमें तो साक्षात् प्रभु मिल गए हैं। ये अपना फेसबुक में एक ग्रुप लांच करना चाहते हैं। इसके विषय में ये स्वयं आपको बताएँगे ” संयोजक महोदय ने अभिनन्दन पूर्वक राधा और कृष्णा को आग्रह किया —
“अब आप लोगों से निवेदन है कि इस नए ग्रुप पर आप ही प्रकाश डाले।” राधा रानी बैठीं रहीं, कृष्णा खड़े होकर स्टेज माइक के सामने पधारे।
माइक को जोर से पकड़ा और कहा –” हेल्लो हेल्लो …माइक टेस्टिंग, माइक टेस्टिंग 1…2…3 क्या मेरी बात आपलोगों तक पहुँच रही है ?”
किसी ने मज़ाक से कहा –“अपनी बातें सुनाएँ, टेस्टिंग वेस्टिंग को मारो गोली।”लोग सब हँसने लगे, फिर कृष्णा जी बोलने लगे —
” मेरे प्यारे फेसबुक के रंगकर्मियों, हम आपका अभिनन्दन करते हैं।” तालियाँ बजने लगीं ! लोग उचक -उचक कर निहारने लगे।
कृष्ण जी ने फिर बोलना शुरू किया –“फसबूकों के माध्यम से हमने उचाईयों को छू लिया, अपनी प्रतिभाओं को निखारा है। साथ -साथ हम सम्पूर्ण विश्व से जुड़ने लगे। दूरियाँ मिटने के लिए अनगिनत ग्रुप बनते गए। ‘कवि गोष्टी ग्रुप ‘, ‘गजल ग्रुप’, राजनीति ग्रुप’ , ‘कलाकार ग्रुप’ ,’जोड़ी बनाओ ग्रुप ‘और ना जाने करोड़ों ग्रुपों का अविष्कार हो गया। हमने भी एक नया ग्रुप अप्प लांच किया है। इस ग्रुप का नाम है’कूप मंडूक ग्रुप’ !”
‘कूप मंडूक ग्रुप ‘की उद्घोषणा के बाद ढोल, नगाड़ा, शहनाई बजने लगी, स्टेज पर फूलों की बारिश होने लगी। संयोजक सामने आकर माइक पर बोलने लगे –“कृपया शांत हो जाएँ, अब इस ‘कूप मंडूक ग्रुप ‘ के विषय में आपको राधा रानी जी प्रकाश डालेंगी !”
राधा रानी के खड़े होते सारा पंडाल हर्षित हो गया, तालियाँ बजने लगीं। फिर ढोल, नगाड़ा और शहनाई के धुनों ने लोगों को नाचने पर बाध्य कर दिया। लोग जब शांत हुए तो राधा रानी लोगों का अभिवादन किया और माइक के समक्ष आकर बोलने लगीं —
” कूप मंडूक ग्रुप ” बन गया है ! कृष्णा जी इसके “एडमिन” हैं, और हम राधा रानी इसके “मोडरेटर “हैं, यह ग्रुप सिर्फ कुएँ के चार दीवारी के भीतर ही घूमते रहेंगे, गहराई कितनी है ? पानी कितना है ? मेंढक कितने हैं ? आपको बस सिर्फ कुएँ की गतिविधियों का मूल्यांकन करना है। बाहर की दुनिया के विषय में यदि आप लिखेंगे, तो एडमिन और मोडरेटर के निगाहों से बच नहीं सकेंगे। इसे कूड़ेदान में फेंक दिया जायेंगे।”लोग खुश को गए तालियाँ बजी।
फिर कान फाड़ने बाला संगीत बजने लगा, सब फेसबुक सहकर्मियों ने इस ‘कूप मंडूक ग्रुप ‘ को सराहा और सारा पंडाल —
” राधा कृष्णा की जोड़ी अमर रहे अमर रहे।”
कुछ दिनों के बाद ‘कूप मंडूक ग्रुप ‘ का नाम सारे विश्व में फैल गया पर उनके विचार कूप मंडूक की तरह बनते चले गए।
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत