हमसफ़र
भीगी -भीगी सी बरसात सी है बारिश की नहीं वो फुहार है
गीला गिला सा आसमान है ना ही वो जीवन का झंकार है
खोया- खोया सा चाँद है घिरी तम से हृदय चाँदनी भी बेजार है
मौन सा ये सारा जहां है लगता जैसे सरगोशियां बेशूमार है
मन के कल्पित भावों को गढ़ना प्रेम का दिल में वास लिए हैं
नम हैं आँखें हृदय विकल है दिल में प्यार का आस किए हैं
बीते हैं दिन बीते रैना नयनों ने भी किया इंतजार
रुत ये मिलन की बीत गयी सूना सूना हुआ संसार
हृदय विकल हुआ जब जब, झंझावातों ने तोड़ा मन को
बनके सफर का हमसफ़र हरदम संभाला है इस दिल को
ममता रानी