हमसे कर ले कुछ तो बात.. दिसंबर में,
हमसे कर ले कुछ तो बात.. दिसंबर में,
तन्हा तन्हा से दिन-रात…, दिसंबर में।
आज हमारी नजरें…., उससे चार हुईं,
फिर से मचले हैं जज़्बात.., दिसंबर में।
इश्क़ तेरा सर चढ़कर.., ऐसे बोल रहा,
दिल के अंदर…, है उत्पात दिसंबर में।
उस दिन.., रिश्ते तोड़ लिए थे सारे पर,
बदले अरमां….., रातों-रात दिसंबर में।
कहाँ गया….? ये आंसू….., तेरे पूछेंगे,
आशिक तेरा वो.., कुख्यात दिसंबर में।
अंदर मुझमें….., साँसों सी तू बसती है,
तुझमें मेरा क्या अनुपात..? दिसंबर में।
तेरे दिल में काफ़ी है…, इक कोना बस,
मत कर हमको यूँ बरख़ास्त दिसंबर में।
पंकज शर्मा “परिंदा”