(हमसफरी की तफरी)
(हमसफरी की तफरी)
हमसफर वही
हम भी वही
रिश्ते भी वही
रास्ते भी वही
आज भी वही
अर्धनारीश्वर से हम।
घी-खिचड़ी,
माखन -मलाई से
आज भी वही
स्निग्धा रिश्ते ।
कच्चे दूध,हरि दूब
हल्दी की गाठ
मौली की आंट
में गुंलझित
आज भी वही
चांदी की मुद्रिका की
टोहन भरे रास्ते ।
बदला है तो बस
समय …..
एहसास ……
नजरिया……।
संगीता बैनीवाल