हमर सभके
हमरे सभके
-आचार्य रामानंद मंडल।
जाड़ा के भोर
चौधरी बस मिथिला के सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा तेजी से जा रहल हय।
बस मे ऊनी चादर से देह झंपले केवल मुंह दिखाइत..
मिश्र जी बोललन-कि यौ झा जी।इ छोटका मे तेजका हमरे सभके न…..
पिछला सीट पर बैठल महतो जी एगो वित्त रहित महाविद्यालय के प्राचार्य बोललन -कि यौ मिश्र जी —-
बड़का सभ मे के बागड़ केकर…. हमरे सभ के न..
मिश्र जी बोललन – प्राचार्य महोदय अंहु एही बस मे..…
मिश्र जी,झा जी आ महतो जी ठठ्ठा के हंस लैन..
हहा! हहा! हहा!
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।