” हमरा लोकनि कें संरक्षक बनबाक अछि “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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विकास आ परिवर्तन क बयार सबतरि बहि रहल अछि ! सभ्यता ,संस्कृति ,भाषा , वेश -भूषा ,भोजन क व्यंजन ,विवाह ,यज्ञ,मुंडन ,उपनयन आ कर्म इत्यादि सेहो नहि बाचल ! सौराठ सभा गाछी वीरान भ गेल ! पंजीकार व्यवस्था प्रायः प्रायः लुप्त भ गेल ! गीत -नाद क भार डी ० जे ० महराज कें भेट गेल छनि ! काज उद्यम मे आधुनिक परिधान आ मोबाइल कें महत्व सर्वोपरि रहित अछि ! भोजन क व्यंजन सेहो बदलि गेल ! समय पर मुंडन होइत छल ,समय पर उपनयन संस्कार आ समय पर विवाह क देल जाइत छल ! आब परिवर्तनक एहन बिहारि उठल अछि ! मुंडन संस्कार कत्तो क लिय ! “उपनयन संस्कार समाज मे नहि करब !” बच्चा कें छुट्टी नहि अछि ! बरुआ आब बरुआ नहि रहला गबरू जवान भ गेलाह ! आब एके बेर विवाह मे तानि द देबनि ! विवाहक यदि गामक लोक जिज्ञाषा करथिन त पहिने सरकारी नौकरी वा कोनो काज त ध लेथ ! नौकरी भेटि गेलनि ! विवाहक गप्प चलल गाम मे त खबर भेटल जे गबरू जवान कोनो आन जाति सं लव मेरिज क लेलनि ! इ परिवर्तन क केहन बिहारि चलल जे सब किछु बदलि गेल ?
आब जिम्म्हर देखू तिम्मरे तिमिर व्याप्त अछि ! यदि निष्पक्ष रूपेण एकर मूल्याङ्कन करू त सब सं बेसी हमरा लोकनि दोषी छी ! सर्वप्रथम हम सब अपना बच्चा कें अप्पन मैथिली भाषा सं कात क देत छी ! घर मे हिंदी बजैत छी ! अप्पन मैथिली सं अनभिज्ञ रखैत छी ! बच्चा कें गाम नहि ल जायब ! आब कहू मिथिला क माटि-पानि सं केना जुड़त ? भाषा मे चुम्बकीय आकर्षण होइत अछि ! सत्ते इ परिवर्तन कोनो आर रूप नहि लय तकरा लेल सचेष्ट रहबाक अछि ! एहि मे सफल नेतृत्व क आवश्यकता अछि ! अधिक समय अपना बच्चा संगें बिताऊ ! मैथिली मे सबगोटे गप्प करू ! सभ्यता संस्कृति सं जुडल रहू ! नेतृत्व “औटोक्रेटिक ” नहि हेबाक चाहि नहि “डेमोक्रेटिक”..हेबाक चाहि ! बस मात्र ” भेरियेबुल ” नेतृत्व क आवश्यकता छैक जाहि सं हम सब सकारात्मक परिवर्तनक आभास करि !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “