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22 Jul 2021 · 1 min read

हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है

हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है

हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है

कभी गुमनामी का अँधेरा , कभी रोशन उजाला देखा है |

कभी बिखरे आँख के मोती , तो कभी आस के पल

कभी अभाव की सुनामी, तो कभी किस्मत का छलावा देखा है |

इश्क़ में गुजरी चंद यादें, तो कभी चंद लम्हे

हमने उनका रूठना , और हमारा उनको मनाना देखा है |

तरस रहे हैं सभी, उस आसमां की एक पल छाँव के लिए

हमने नवोदित रचनाकारों की कलम को, घायल होते देखा है |

हाथ में फूलदान लिए , गाड़ियों के पीछे भागता बचपन

हमने गरीबी का अजब आलम, अजब मंज़र देखा है |

उसकी पीठ से बंधा बच्चा, और सिर पर ईटों का अंबार

हमने दो वक़्त की रोटी की जद्दोजहद का , भयावह मंज़र देखा है |

दो वक़्त की रोटी को तरसते , लाखों परिवार

हमने अमीरों की पार्टी में , अन्न की बर्बादी का अजब मंज़र देखा है |

बाबाओं का पाखण्ड , और उनका अनैतिक आचरण

हमने बाबाओं को कभी नेता , तो कभी बिजनेसमैन होते देखा है |

नेताओं का वादा करना , और मुकर जाना

हमने नेताओं की हरकतों का , अजब मंज़र देखा है |

हमने जिन्दगी में कभी रात का अँधेरा , तो कभी सुबह का उजाला देखा है

कभी गुमनामी का अँधेरा , कभी रोशन उजाला देखा है |

कभी बिखरे आँख के मोती , तो कभी आस के पल

कभी अभाव की सुनामी, तो कभी किस्मत का छलावा देखा है ||

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 412 Views
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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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