*हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)*
हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)
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हमने एक पतंग उड़ाई
बादल से वह जा टकराई
बादल में उस से छेद हुआ
हमको फिर इस पर खेद हुआ
बादल ने पानी बरसाया
तब हमें समझ में यह आया
ऊॅंची भले पतंग उड़ाओ
बादल से पर मत टकराओ
वरना गल कर रोज फटेगी
आसमान में नहीं डटेगी
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451