हमनाम
आज कार इंश्योरेंस के सिलसिले में इंश्योरेंस कंपनी के किसी टेलीकॉलर से बात हो रही थी.. जैसे कि शिष्टाचार वश पहले ये अभिवादन सहित अपना नाम बताते हैं तो उस सभ्य कर्मचारी ने भी परम्परा अनुसार वही सब दोहराते हुए कहा कि नमस्कार.. मैं… (फ़लाना) आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ… अब जब उसका नाम सुना तो ही माथा ठनका कि कोई सहायता नहीं करेगा ये… ‘तुम्हारा’ हमनाम मेरे किसी काम आ जाये, हो ही नहीं सकता.. फिर भी मैंने अपनी कंप्लेन रजिस्टर करा दी… अंत में फिर वही रटी रटाई बात कि मैम उम्मीद करता हूँ कि आपकी प्रॉब्लम जल्द ही सॉल्व हो जाएगी, यदि मैं आपकी कोई और सहायता कर सकता हूँ तो बताइए… तुम्हारी खुन्नस उस पर निकल ही गयी और मैंने कहा कि कर तो सकते हैं आप मेरी सहायता, पर आप करेंगें नहीं… बड़े अदब से बोला कि मैम प्लीज़ बताइए मैं कोशिश करूँगा कि आपकी समस्या हल हो… मैंने कहा कि यदि आप सच में सहायता करना चाहते हैं तो क्या आप अपना नाम बदल सकते हैं क्यूँकि मुझे इस नाम से बेहद चिड़ है… हँसते हुए बोला कि सॉरी मैम ये मैं नहीं कर पाऊँगा… और मैंने फोन रख दिया….
सुरेखा कादियान ‘सृजना’