हमको लगता है बेवफाई से डर….
हमको इश्क में लगता है बेवफाई से डर
कहीं वो खेल न रहे हो मेरे जज्बातों से
लगता है हमको रुसवाई से डर।
भूले से भी याद न आए वो कभी
जो ज़ख्म दिए हैं उन्होने हमको
उनकी गहराई से लगता है डर।
चांद तारों से भरे इस नीलगगन तले
हमको अपनी तन्हाई से लगता है डर
बहुत दूर तक उठा लिया अपने कंधों पर जनाजा अपने अरमानों का
अब तो हमको बजती हुई शहनाई से लगता है डर।
इश्क की दुनिया में न रखेंगे कदम कभी हम
हमको फितरत ए हरजाई से लगता है डर।