हमको नहीं गम कुछ भी
हमको नहीं गम कुछ भी, कि तुमको अपना बना नहीं सके।
छोड़ दिया ख्याल तुम्हारा, कि मांग तेरी हम सज़ा नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी————————————।।
तुमने दिया है हमको क्या, कि हम मनाते आकर तुमको।
बोले नहीं अपनों की तरह, हम हाथ तुमसे मिला नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी———————————-।।
तुमको फिक्र है अपनी खुशी की, हमारे दुःख से मतलब नहीं।
मालूम तुम्हें है अरमां हमारे, सिर तुमको हम झुका नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी————————- ——–।।
बर्बाद हम होना चाहते नहीं, बदनाम हम होना चाहते नहीं।
हमारे लिए कब दुहा की तुमने, तुम्हें हम साथी बना नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी———————————–।।
तुमको नहीं अच्छी लगती है, हमारी हस्ती- हमारी बस्ती।
खुश हैं हम इस छोटे शहर में, हम मनाने तुम्हें आ नहीं सके।।
हमको नहीं गम कुछ भी———————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)