हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में
हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में।
खबर हमारी भी पूछाकर, परदेशी परदेश में।।
हमको तू ऐसे नहीं भूला—————-।।
माना कि वक़्त नहीं मिलता है, तुमको वहाँ पर।
काम बहुत रहता है हर पल, तुमको वहाँ पर।।
लेकिन यह भी तो है काम, पूछना अपनों का हाल।
हमको तू ऐसे नहीं भूला—————-।।
ऐसे नहीं मिटा तू , अपने ख्वाबों में हमको।
ऐसे नहीं हटा तू , अपनी यादों से हमको।।
अपने घर और देश की, नहीं भूला सूरत तू।
हमको तू ऐसे नहीं भूला—————।।
प्यार तुमको यहाँ पर, किससे नहीं मिला है।
साथ तुमको यहाँ पर, किससे नहीं मिला है।।
करते हैं तारीफ तेरी यहाँ, जन्मभूमि को नहीं भूला।
हमको तू ऐसे नहीं भूला—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)