गम को लो हमसे मुहब्बत हो गयी
गम को लो हमसे मुहब्बत हो गयी
आँसुओं की खूब दौलत हो गयी
जबसे दिल को हो गई आदत तेरी
दूर उसकी हर शिकायत हो गयी
दिल गवाही तेरे हक़ में दे चुका
एक तरफा अब वकालत हो गयी
प्रेम रूहानी हमारा हो गया
रब के जैसी तेरी सूरत हो गयी
किस्से ये ऑनर किलिंग के देखिये
आदमी की कैसी इज़्ज़त हो गयी
उजली सी थी पहले ये इंसानियत
गिरगिटी सी आज रंगत हो गयी
मिल न पाया था जवानी में सुकूँ
अब हमें फुरसत ही फुरसत हो गयी
‘अर्चना’ को भाती है सीधी डगर
इसलिये ही दूर शोहरत हो गयी
15-01-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद