हमको गैरों का जब सहारा है।
गज़ल
2122/1212/22(112)
हमको गैरों का जब सहारा है।
कैसे कह दें कोई हमारा है।
दर्द बेहद दिया है अपनों ने,
गम नहीं दुश्मनों ने मारा है।
उसको दुत्कारिए न इस तर्हा,
मां की आंखों का वो भी तारा है।
हॅंस के, रो के गुजा़र लो जीवन,
और बचता न कोई चारा है।
कद्र मां बाप की करो यारो,
उनमें ईश्वर का ही नज़ारा है।
बोलो जय हिन्द एक बार सभी,
सबसे सुंदर ये एक नारा है।
प्यार की जंग वो लड़ा ‘प्रेमी’,
जीतने के लिए जो हारा है।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी