हमको इतनी आस बहुत है
हमको इतनी आस बहुत है,
अंतर्मन में प्यास बहुत है.
इक दिन दुनिया अपनी होगी,
मन में ये विश्वास बहुत है.
बेशक जग बैरी हो जाये,
अपनों का अहसास बहुत है.
मज़हब के सब झगड़े छोडो,
रब का तो आभास बहुत है.
देख हटाकर घना अँधेरा ,
जीवन में उल्लास बहुत है.
बाँट सको तो खुशियाँ बांटो,
ग़म तो सबके पास बहुत है,
आडम्बर की नहीं ज़रुरत
मन का ही सन्यास बहुत है.
अल्पना सुहासिनी