हमको अपने देश पर, कैसे हो अब नाज ।
हमको अपने देश पर, कैसे हो अब नाज ।
नफरत, हिंसा , द्वेष की , अग्नि सुलगती आज ।।
अग्नि सुलगती आज , फुलाते फिर भी सीना ।
खत्म किया सौहार्द , हुआ दूभर अब जीना ।
रिया , कंगना छोड़ , फिक्र है किसकी किसको ।
कैसे हो अब नाज , देश पर अपने हमको।।
सतीश पाण्डेय