हमके भुला गईलु जान
घोल गईलु जहर हमरे जिनगी में धन हो
हम तुहके जानत रहीं आपन तन मन हो
ना जाने कवन इच्छा बा जागल तुहार मे
भूल हमके उलझल बाटू तू जन जन में
बोलेलु बात हरदम दिलवा के तोड़े के
कबो नाही चहलु गोरी रिश्ता तू जोड़े के
आग लगईलु गोरी मोरे चितवन मे
भूल हमके उलझल बाटू तू जन जन में
प्रेम कईली तुहार सुनर दिल देख के
नाही देख पवलीं तुहरा अन्दर के भेष के
छोड़ छाड़ दिहलु गोरी तू आपन वन के
भूल हमके उलझल बाटू तू जन जन में
दिहलु जख्म अईसन भूल नाही पाईं
खता कईले बाटीं शायद तुहरा के चाही
काहे तुड़त बाटू गोरी मोर उपवन के
भूल हमके उलझल बाटू तू जन जन में
कहेले शैलेन्द्र गोरी बात मोरी मान ल
हमके तू आपन समझा या पराया मान ल
गलती भुला देब सब कहत हई वचन में
भूल हमके उलझल बाटू तू जन जन में