हनुमान वंदना
यदि जीवन का पथ बाधित हो , ताम घोष दिखाई देता हो
यदि सब विभाज्य हो गए, नहीं कुछ शेष दिखाई देता हो
यदि अंतर्मन से चिर निद्रा में, देश दिखाई देता हो
यदि निज धर्मो का सुकॄत तुम्हे , अवशेष दिखाई देता हो
अघ, मोह महा ,तम ,ताप, तिमिर, कलि मलि मर्दन हो जाएगा
बजरंगबली की जय बोलो सारा संकट टल जाएगा ””
यदि भू,बाधा ,क्षय, रोग भूत , ग्रह तुम्हे सताया करते है
यदि संकट के बादल सर पर हरदम मड़राया करते है
यदि रामचंद्र रघुनन्दन का दीदार नहीं कर पाए हो
यदि बीच भॅवर में नैया है तुम पार नहीं कर पाए हो
जब काल व्याल विकराल भाल ले तेरे सन्मुख आएगा
बजरंगबली की जय बोलो सारा संकट टल जाएगा ””
यदि लक्ष्य कठिन हो दुर्गम पथ ,यदि लगता काम अधूरा हो
शंकित युवान हो अंगद सा ,यदि जामवंत सा बूढ़ा हो
भय कान्त शांत सब बैठे हो, यदि मन में कोई शंका हो
पथ का बाधक सागर अथाह ,आगे रावण की लंका को
पथ हो जाएगा खुद प्रशस्थ अवरुद्ध शुद्ध हो जाएगा
बजरंगबली की जय बोलो सारा संकट टल जाएगा ””
हे कवी कुल कुमुद राम किंकर ,हम अशरण शरण तिहारे है
हे पवन तनय अंजनीलाल प्रभु आये तेरे द्वारे है
बल बुद्धि ज्ञान गुन राशि महा , श्रुति शेष न पावत पारे है
शुचि सुन्दर शील “सुशील “प्रभु रूचि रुचिर सनेह तुम्हारे है
संकट के घट से भी प्यारे तू प्रेम सुधा छलकायेगा
बजरंगबली की जय बोलो सारा संकट टल जाएगा ””