हनुमान वंदना (चुलियाला छंद )
हनुमान वंदना
चुलियाला छंद
13+11+5 =29
र,य,भ,न,ज 5 प्रकार से
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दूर करो संकट सभी,
शरण पड़े हैं आन आपकी ।
राम कथा के रसिक हो,जय
जय जय हनुमान आपकी।
भूत प्रेत बन लग रहे,काम
क्रोध मद लोभ जाल से।
तन मन सब विचलित करें,
सता रहे विकराल काल से
वैसे तो सब कुछ दिया,
रही न मन में शेष पिपासा।
आगे कुछ न चाहिए,
निर्मल मति के भाव सुपासा।
मोह मंच का छोड़कर,त्याग
हास परिहास, जिया है ।
विविध ग्रंथ आधार ले,
रघुवर लीला गान, किया है
बीच बीच में आ रहे,
यह कैसे अवरोध अचानक।
रावण वध ही शेष है,
रुका राम संग्राम कथानक ।
कथा सजाई दास ने,
सौ प्रकार के छंद बनाकर ।
लीला गाई राम की,
गणपति शारद मात,मना कर ।
धन लिप्सा में जिंदगी,
अब तक गई तमाम पवनसुत।
रचे विषय रति काम के,
अब पकड़े हैं राम,पवनसुत।
सदा किये अब भी करो,
आप राम का काज पवनसुत।
कथा शेष नहिं छीन ले,
जीवन चिडिया बाज,पवनसुत।
कौन काज जग में कठिन,
जो तुमसे ना होय,बजरंग।
रचना पूरी कीजिये,
दास समय ना खोय,बजरंग ।
सपथ राम की आपको,
करो न किंचित देर,हनुमान ।
शीघ्र कथा पूरी करो,
दास रहा है टेर, हनुमान।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
31/3/23