हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
आप मेरे इष्ट हो,
सर्वदा ही शिष्ट हो।
अंजनी सुत प्रभु,
आप तो विशिष्ट हो।
आप मेरे दादा जी,
आप रामपुर वाले।
छींद में आप ही हो,
आप मेरे बाला जी।
राम जी के प्यारे हो,
आप संकटमोचन।
जानकी दुलारे हो,
कोटि कोटि वंदन।
आप से सृष्टि है,
हर जगह आप हो।
‘कुल’ के इष्ट प्रभु,
‘दीप’ का प्रकाश हो।
-जारी
-©कुल’दीप’ मिश्रा