हनुमान जयंती
सादर समीक्षार्थ
करते न राम काज यदि हनुमान जी तो
आज रघुवीर के ये दास बनते नही।
होता न हरण मातु जानकी का वन से तो
रावण से राम जी संग्राम करते नही।
समय पे संजीवनी जो लाते हनुमान न
तो भ्रात लक्ष्मण जी के प्राण बचते नही।
होता न बिभीषण सा भाई यदि रावण का
आज कुनबे के सारे वंश मिटते नही।
अभिनव मिश्र अदम्य