हनुमान जन्म स्थली किष्किंधा
पौराणिक मान्यताओं में कितना पवित्र कितना पुराना कितना अद्भुत दृश्य कितने मनोरम स्थल आर्यावर्त धरा पर उपस्थित हैं, इसका अंदाजा लगाना बड़ा ही जटिल कार्य हैं, आर्यावर्त में अनेक पवित्र तीर्थ स्थल हैं जहाँ का प्राकृतिक वातावरण अति सुंदर मनोरमा छवि से परिपूर्ण हैं।
आज यह लेख पौराणिक संदर्भ प्रभु श्री राम भक्त हनुमान जी के जन्मस्थली अंजनेयाद्री पर्वत किष्किंधा हम्पी कर्नाटक पर हैं अंजनेयाद्री पर्वत आर्यावर्त के कर्नाटक राज्य हम्पी जिला एनेकुंडी क्षेत्र के केंद्र में स्थित हैं अंजनेयाद्री पर्वत तुंगभद्रा नदी (पम्पा सरोवर) के तट पर स्थित हैं जो पहले किष्किंधा कहा जाता था उसके बाद विजयनगर नाम से प्रसिद्ध हुआ, इसके बाद हम्पी नाम से जाने जाने लगा।
यहाँ चारों तरफ छोटी-छोटी पर्वत मालाएं फैली हुई हैं इसके आसपास छोटी-छोटी जनसंख्या वाली छोटी आबादी में व्यक्तियों के निवास स्थान हैं गंगवटी से आप आएंगे तो आप सभी को छोटी-छोटी पर्वत पर सर्फ जैसी आकृति में सड़क मार्ग दिखाई पड़ेंगे दाए बाय छोटी-छोटी पर्वत शिखर के दर्शन देखने को मिलेंगे और इन छोटी-छोटी पर्वत श्रृंखलाओ का प्राकृतिक बनावट अति दुर्लभ ढंग से सजी हुई हैं मानों इन शिलाओं की कृत्रिम ढंग से संरचनात्मकता पूर्ण ढंग से निर्माण किया गया हो, पर्वत श्रृंखला के निचले हिस्से में पहाड़ों से जल रिसाव सड़क मार्ग के अगल-बगल किसानों के खेत हैं, 2024 अक्टूबर के अंतिम दिन में यहाँ पर धान की खेती की फसल पक चुकी थी जिसकी कटाई का कार्य प्रारंभ था।
अंजनेयाद्री पर्वत किष्किंधा में पहुँचने पर एक ऊर्जा स्रोत का अवतरण सा हो गया, अति परम शांति अद्भुत दृश्य मनोरम छवि जिसका वर्णन लेखनी से करना सम्भव नहीं जान पड़ता हैं, जितना मेरे स्मृति में याद होगा उतना चित्रण करने का पूर्ण प्रयास करूँगा।
अंजनेयाद्री पर्वत प्रांगण में अनेक छोटी-छोटी दुकान हैं जिस पर नारियल अगरबत्ती मिश्री चने का प्रसाद आदि उपलब्ध थे, जो लगभग सभी तीर्थ स्थल मंदिरों पर होते हैं यहाँ दो नारियल चढ़ाने की प्रथा सी जान पड़ती हैं दुकानों से आगे जब बढ़ेंगे अंजनेयाद्री पर्वत हनुमान जन्म स्थल पर तो आपको एक छोटी सी नहर या नाला को पार करना पड़ेगा जिस पर कंक्रीट का पुल निर्माण हैं मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही आपके सामने खड़ी प्रभु श्री राम और चरणों में पवन पुत्र हनुमान जी की प्रतिमा दिखेगी बगल में हनुमान जी का छोटा सा मंदिर उपस्थित हैं वहाँ से बाएं तरफ से अंजनेयाद्री पर्वत पर चढ़ने के लिए एक सीढ़ी बनी हुई हैं जो पहाड़ों को काटकर बनाया गया हैं जो 575 पायदान का हैं या लगभग 600 पायदान जब सीढ़ी चढ़ना शुरू करेंगे तो श्रद्धालु गढ़ जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम का नारा से एक अलग ही उत्साह बढ़ जाता हैं सीढ़ी चढ़ने पर जगह जगह बैठने हेतु अति सुलभ व्यवस्था भी किया गया हैं जिससे बच्चे बुजुर्ग श्रद्धालुओं पर जगह-जगह पर विश्राम करते हुए बजरंगबली के दर्शन कर सके।
दर्शन करने के उपरांत विश्राम करते हुए नीचे आ सके, सीढ़ियों का निर्माण खुली और बंद दोनों तरह से बनी हुई हैं जितने ऊंचाई पर जाएंगे उतना ही सुंदर दृश्य नीचे देखने को मिलेगा सामने से तुंगभद्रा नदी (पम्पा सरोवर) अटखेलियाँ खेल कर नारियल और अन्य फलदार वृक्षों प्रकृति वन का अद्भुत मनोरंजन छवि का निर्माण कर रहीं हो, अनेक शिलाओं पर कूदती फांदती पम्पा सरोवर (तुंगभद्रा नदी) किष्किंधा के संपूर्ण पर्यावरण के सौंदर्य को सुशोभित कर मधुरम् गुंजन गान कर रहीं हैं।
दाहिने तरफ अंजनेयाद्री पर्वत शिखर पर प्रभु बजरंगबली का मंदिर हैं जिस गुफा में अंजना माता रहती थीं जिसमें बजरंगबली का जन्म हुआ था गुफा के सम्मुख हनुमान जी की एक प्रतिमा एक स्तंभ पर चित्रित है बाएं तरफ आगे बढ़ने पर भंडार कक्ष हैं श्रद्धालुओं के लिए भोजन और विश्राम की व्यवस्था हैं गुफा के सम्मुख पम्पा सरोवर (तुंगभद्रा नदी) नीचे छोटे छोटे शिलाओं और वनो के बीच हरियाली तुंगभद्रा (पम्पा सरोवर) नदी का बहता शीतल जल धारा का अद्भुत अविस्मरणीय वातावरण परिवेश का निर्माण कर रहा हैं।
अंजनेयाद्री शिखर से देखने पर चारों तरफ छोटी बड़ी पर्वत शिखर ही दिखाई देते हैं पूरा का पूरा किष्किंधा पर्वत मालाओं की नगरी जान पड़ती हैं इन पहाड़ी मालाओं के बीच में छोटे-छोटे सुंदर गृह का निर्माण छोटे-छोटे खेत पेड़ों का मनोरंजन छवि अति सुंदर जान पड़ता हैं प्रारंभ से सीढ़ी चढ़ते हुए मानों तन बदन पुरा गर्मी से भीग सा गया थकान जरूर महसूस हुआ लेकिन जय श्री राम जय श्री राम का नारा से एक अंत: शक्ति ऊर्जा बदन में समाहित हो गई अंजनेयाद्री शिखर पर पहुँचने पर शीतल पवन का झोंका संपूर्ण थकान को दूर कर दिया, अंजनेयाद्री पर्वत शिखर लगभग 300 मीटर व्यास में फैला हुआ जान पड़ता हैं यहाँ से पूरे किष्किंधा का दर्शन किया जा सकता हैं, यहाँ की शिलाएं ऐसा जान पड़ती हैं जैसे खेल-खेल में बच्चे शिलाएं एक के ऊपर एक रख दिए हो, प्रकृति का यह अनोखा दृश्य मन में अनेक प्रश्नों को जन्म देता हैं जैसे स्वयं हनुमान जी खेल-खेल में इस शिलाओं को लाकर सजाए हैं या प्रकृति का ऐसा मनोरम बनावट हैं छोटी-छोटी शिलाएं जो इंसान के कितना भी जोर लगाले उसे हिला भी ना सके वह शिलाएं जिन पर सीढ़ियाँ भी आज बड़ी कठिनाइयों से मशीनों द्वारा काटकर निर्माण किया गया हो, इन पहाड़ी मालाओं शिलाओं का वर्णन जितना भी करो कम हैं चारों तरफ प्रकृति का अद्भुत दृश्य जिसे चक्षु देखने पर भी मन ना तृप्त हो, एक अलग ही शांति आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत का पावन पुनीत स्थान हैं यहाँ के प्रकृति का जितना भी वर्णन करों उतना ही कम हैं।
अंजनेयाद्री पर्वत शिखर पौराणिक हिन्दू धर्म संस्कृति का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थल का अनोखा समन्वय देखने को मिलता हैं।
अंजनेयाद्री पर्वत पर पहुँचने के लिए सड़क मार्ग अति सुलभ हैं अगर आप सभी रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो नजदीकी रेलवे स्टेशन होसपेट हैं, होसपेट से बस या छोटी गाड़ियों को बुक करा कर अंजनेयाद्री पर्वत हनुमान जन्म स्थली किष्किंधा आ सकते है, जो होसपेट से लगभग 38 किमी होगा।
अति मनोरम छवि पावन पुनीत हो
हनुमान जी पाए माता अंजनी से प्रीत हो
सुंदर सुधाम हैं गुंजे राम-राम हो
भक्त जन बोले जय जय श्री राम हो
चारों तरफ से शैल शिलाओं का निर्माण हो
भक्त जन आए प्रभु करो कल्याण हो
श्रद्धा सुमन लेकर आए प्रभु के धाम हो
भक्त जन बोले जय जय श्री राम हो
शिखर पर विराजे करें जन कल्याण हो
हनुमान जी माता अंजना जी के प्राण हो
श्रद्धालुओं के भीड़ रहे सुबह शाम हो
भक्त जन बोले जय-जय श्री राम हो
देई आशीष प्रभु जी आई बार-बार हो
भक्त गणों के हैं आप ही आधार हो
बालक नवनीत करें चरण में प्रणाम हो
भक्त जन बोले जय जय श्री राम हो