हनुमानजी
बसता जिनका राम में,सदा-सदा ही प्राण।
ऐसे दिव्य महात्मा, महावीर हनुमान।१।
भजते आठो याम ही,राम-सिया अरु राम।
जीवन का बस ध्येय यह,रखते वे निष्काम।२।
राम पादुका ले चले,भाई भरत महान।
नाम राम का ले चले,केवल श्री हनुमान।३।
दीनों-दुखियों का सदा,हरते कष्ट अपार।
राम-नाम के सेतु से,करवाते भव पार।४।
भक्त नहीं हनुमान-सा,सिद्ध जगत में और।
स्वामी के वे पादुका,और वही सिरमौर।५।
आप राम के परम प्रिय,राम-राम प्रति साँस।
प्रभु मेरे रधुवीर हो, मैं हूँ अदना दास।६।
-सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’