“हद”
“हद ”
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मुझे बता ,
कहाँ तक,
है मेरी हद।
तुम्हें भी,
मालूम होनी चाहिये;
तुम्हारी हद।
तो तय है!
बँटवारा ?हा—-!
देखना,
लकीर में,
वो जो,
खींची गई,
हद की,
कहीं छूटी होगी
कोई जगह——?
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राजेश”ललित”शर्मा
———-२८/१२/२०१६—–१:५८—–