हद से ज्यादा
हद से ज्यादा अच्छा और बुरा हूँ,
न जाने किस मिजाज का हूँ।
हर पल हाजिर मुलाकात को हूँ,
सिवाए जज़बात बयां किए तेरी महफिल में हूँ।
बेरूखी है फिर भी हँसी तलाशता हूँ,
कुछ पलों को की मुस्कुराहट दिल में लिए हूँ।
हद से ज्यादा अच्छा और बुरा हूँ,
न जाने किस मिजाज का हूँ।
वक्त का हिसाब वक्त के साथ करता हूँ,
कितना कीमती है साथ वो भी समझता हँू।
मसरूफ है ज़िदगी दौराह पर खड़ा हूँ,
थोड़ा लेहजा ही बदला है मैं आज भी वैसा हूँ।
हद से ज्यादा अच्छा और बुरा हूँ,
न जाने किस मिजाज का हूँ।