Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2022 · 6 min read

हथियारों की होड़ से, विश्व हुआ भयभीत

जब बुजुर्गों के उठ गए साये
तब लगा सिर पे आसमान भी था

संसार में हम सबकी कई पीढ़ियाँ आईं और गईं। हर युग में, हर प्रकार के, हर तरीक़े के युद्ध लड़े गए मगर 18वीं शताब्दी की औधोगिक क्रान्ति के उपरान्त युद्ध लड़ने का परिदृश्य ही बदल गया है। मानव और मानवता को बचाने की दुहाई देकर, अत्याधुनिक हथियार बनाये जाने लगे। यूरोप में होने वाला प्रथम विश्व युद्ध, एक वैश्विक युद्ध कहा गया। जो कि 28 जुलाई 1914 ई. से 11 नवंबर 1918 ई. तक की अवधि में चला। यह युरोप, अफ़्रीका तथा मध्य पूर्व यानि जिसके आंशिक रूप में चीन और प्रशान्त द्वीप समूह में लड़ा गया। इसका परिणाम रहा गठबन्धन सेना की विजय। जर्मनी, रुसी, ओट्टोमनी और आस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्यों का अन्त। यूरोप व मध्य पूर्व में नये राष्ट्रों का उदय। इसी कड़ी में जर्मन-उपनिवेशों में अन्य शक्तियों द्वारा कब्जा और लीग ऑफ नेशनस की स्थापना हुई।

इसे महान युद्ध (Great War) या “समस्त युद्धों को नष्ट करने वाला गौरवशाली युद्ध” भी कहा गया है। इस युद्ध में भाग लेने वाले 6 करोड़ यूरोपीय गोरों ने युरोपीय सहित, उनके उपनिवेशों (दुनिया भर के ग़ुलाम देशों) से लाये गए—सात करोड़ से अधिक सैन्य कर्मियों को एकत्र करने का व इस प्रथम महाविनाशकारी युद्ध में झोंकने का, नेतृत्व भी प्रदान किया। अतः इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से इसे एक बड़ा युद्ध बनाता है। पृथ्वी पर हुए अब तक के समस्त युद्धों में से यह सबसे घातक संघर्षों में से एक था, जिसके सही-सही आंकड़े अभी तक मौजूद नहीं हैं। मात्र अनुमान भर ही लगाया गया है कि नौ करोड़ लड़ाकों की मृत्यु व युद्ध के प्रत्यक्ष परिणाम के स्वरूप में 1.3 करोड़ नागरिकों की मृत्यु हुई। सन 1918 ई. में फैली महामारी स्पैनिश फ्लू ने उस वक़्त विश्वभर में एक दशमलव सात से दस करोड़ लोगों को मारा था। अर्थात यूरोप में 26.4 लाख मौतें व अमेरिका में 6.75 लाख मौतें स्पैनिश फ्लू से हुई यह पूरी तरह सेेे 1919 ई. में समाप्त हुुई!

प्रथम विश्व युद्ध के प्रभाव से अभी उभरे भी न थे कि द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया। यह महाविनाशकारी युद्ध सन 1939 ई. से सन 1945 ई. तक चला और अपने चरम पर यानि परमाणु बम तक गया। लगभग सत्तर राष्ट्रों की जल-थल-वायु सेनाओं ने इस युद्ध में भाग लिया। भारत इस वक़्त तक ब्रिटिश के आधीन था और अपनी आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहा था। इस युद्ध में विश्व सीधे रूप से दो भागों मे बँटा हुआ रहा—जिन्हें ‘मित्र-राष्ट्र’ व ‘धुरी-राष्ट्र’ की संज्ञाएँ दीं गईं। इस युद्ध की विनाश अवधि में मानव ने दिखा दिया कि वह किस हद तक उत्पात मचा सकता है? कहाँ तक अपने शत्रुओं को बरबाद कर सकता है और मित्रों को आबाद। इस युद्ध में क्या पूरब, क्या पश्चिम? सभी महाशक्तियाँ पागलपन की हद तक गईं। उन्हें भरी आर्थिक और औद्योगिक मार झेलनी पड़ी। पृथ्वी की ओजोन परत को नुक्सान पहुँचाने वाले घातक हथियारों को इस्तेमाल करने की छूट मिल गई। कहने का अर्थ ये कि प्रथम विश्व युद्ध में जो अरमान रह गए थे वह द्वितीय विश्व युद्ध में पूरे किये।

यह विनाशकारी युद्ध यूरोप, प्रशांत, अटलांटिक, दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, मध्य पूर्व, भूमध्यसागर, उत्तरी अफ्रीका व हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका, तथा उत्तर व दक्षिण अमेरिका के लघभग सत्तर देशों द्वारा लड़ा गया। इस युद्ध का परिणाम भले ही मित्रराष्ट्र की विजय के रूप में रहा मगर ये मानवता की सबसे बड़ी हार के लिए जाना जायेगा। इस युद्ध से हिटलर और उसके नाजी जर्मनी साम्राज्य का पतन हुआ। साथ ही साथ जापान व इतालवी साम्राज्यों का भी पतन हुआ। अंतर्राष्ट्रीय संस्था राष्ट्र संघ का विघटन व संयुक्त राष्ट्र का उदय हुआ। महाशक्तियों के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) व सोवियत संघ (USSR) का उत्थान प्रारम्भ हुआ लेकिन दोनों महाशक्तियों के मध्य ‘शीत युद्ध’ की शुरुआत भी हुई। जो सन 1991 ई. तक ज़ारी रही।

ख़ैर इस युद्ध में लगभग दस करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, जो अलग-अलग राष्ट्रों के थे। इस घातक महायुद्ध में लगभग पांच से सात करोड़ मानवों की जानें गईं। जिसमें सैनिकों के अलावा असैनिक नागरिकों का भी बड़ी मात्रा में नरसंहार हुआ। इसमें होलोकॉस्ट से लेकर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल, जोकि हिरोशिमा व नागासाकी (जापान) में गिराए गए। इसी कारण महायुद्ध के अंत में मित्र-राष्ट्रों को विजयश्री प्राप्त हुई।

तृतीय विश्व युद्ध की सुगबुगाहट अब आने लगी है। यह भयभीत भी है और रोमांच पैदा करने वाला भी। जब सन 1971 ई. में मेरा जन्म हुआ था, तब भारत-पाकिस्तान का युद्ध ज़ारी था फलस्वरूप उस वर्ष बांग्लादेश का भी जन्म हुआ। मेरे दादा श्री भूर सिंह जी (1913) के जन्म के ठीक एक वर्ष बाद प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918 ई.) व मेरे पिता श्री शिव सिंह जी (1938) के जन्म के ठीक एक वर्ष बाद द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945 ई.) हुआ था। मेरे जीवनकाल में भी विभिन्न देशों के मध्य युद्ध देखने को मिले। लेकिन अब जीवन के पचासवें बसन्त में यह सौभाग्य पुतिन जी व नाटो देशों के सौजन्य से प्राप्त हो रहा है। शायद मेरे साथ ही पृथ्वी का भी अंत निकट है।

वर्तमान में ज़ारी रूस यूक्रेन संघर्ष को विशेषज्ञ तृतीय विश्व युद्ध की शुरूआत बता रहे हैं। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि सन 2019-20 ई में वुहान लैब से मानव निर्मित “कोरोना वायरस” से चीन ने कीट युद्ध शुरू कर दिया है। जो तृतीय विश्व युद्ध का नया और सबसे घातक रूप है। मेरे कुछ दोहों में इसका इशारा भी है:—

जग व्यापी व्यापार से, मची अनोखी होड़
मानव निर्मित वायरस, अर्थ व्यवस्था तोड़ //1.//

बड़े देश तबाह हुए, चीन राष्ट्र की खोट
कोरोना के रूप में, अर्थतन्त्र को चोट //2.//

स्वास्थ्य संगठन ने दिया, ड्रैगन को चिट क्लीन
टेड्रोस* खुदी हो गया, जग में क्वारंटीन //3.//

महामारी के रूप में कोरोना ने विश्व को भयक्रान्त किया है बल्कि असमय असंख्य लोगों को काल का ग्रास भी बना लिया है। आने वाले वक़्त में ऐसे ही अनेक कीट युद्ध लड़े जायेंगे। जहाँ आर्मी बॉर्डर पर खड़ी रह जाएगी और देश के अन्दर आम नागरिक मौत के घाट उतरते जायेंगे। इसका अर्थ ये है कि तृतीय विश्व युद्ध परोक्ष और अपरोक्ष रूप से दोनों जगह लड़ा जायेगा। यदि रूस के साथ चल रहे युद्ध में नाटो भी युद्ध करता है तो निश्चय ही यह तृतीय विश्व युद्ध तक पहुँच सकता है। उम्मीद करते हैं कि यह युद्ध जल्दी निपट जाये।

जब सन 1971 ई. में मेरा जन्म हुआ था, तब भारत-पाकिस्तान का युद्ध ज़ारी था फलस्वरूप उस वर्ष बांग्लादेश का भी जन्म हुआ। मेरे मंझले चाचाश्री कुँवर सिंह रावत जी ने उसमें हिस्सा लिया था। चाचा जी कह रहे थे कि, “वह पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में नारियल खाने में व्यस्त रहे। युद्ध में मारे जाने की आशंका से बांग्लादेश के लोग-बाग अपने-अपने घर छोड़कर भाग चुके थे। कुछ फौजी क़ीमती सामान लूटने में व्यस्त थे। वापसी में जब बॉर्डर पर चेकिंग हुई तो लूटा हुआ सब सामान अधिकारीयों ने जब्त कर लिया। जिसे बाद में सरकारी राहतकोष में जमा करवा दिया गया।” बड़े चाचाश्री कल्याण सिंह जी बी.एस.एफ़. में थे। अतः वह पश्चिमी पाकिस्तान पर सीमा की सुरक्षा कर रहे थे।

सन 2016 ई. में छोटे चाचा जी के स्वर्गवास के साथ। पुरानी पीढ़ी लगभग ख़त्म ही हो गयी है। दो बुआ जी अभी जीवित हैं। पिताश्री और उनके चार अन्य भाई सब कालकलवित हो चुके हैं। जबसे मानव सभ्यता पनपी है युद्ध शुरू हुए हैं और जबतक मानव सभ्यता रहेगी, युद्ध होते रहेंगे! अम्न और शान्ति के तरीक़े भी हमें ही तलाशने होंगे।

तृतीय विश्व युद्ध के बाद भी शायद कुछ अन्य युद्ध लड़े जायेंगे। यदि विज्ञान मनुष्य के लाभ के लिए है तो पृथ्वी सुरक्षित है और विज्ञान अंत करने के लिए है तो अंत भी निकट ही है। अपने एक दोहे के साथ लेख को छोड़े जा रहा हूँ—

हथियारों की होड़ से, विश्व हुआ भयभीत
रोज़ परीक्षण गा रहे, बरबादी के गीत

•••
________________
*टेड्रोस — कोरोना काल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) प्रमुख

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 313 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
*प्रकृति के हम हैं मित्र*
*प्रकृति के हम हैं मित्र*
Dushyant Kumar
नई शुरावत नई कहानियां बन जाएगी
नई शुरावत नई कहानियां बन जाएगी
पूर्वार्थ
मेरा दिन भी आएगा !
मेरा दिन भी आएगा !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
Rj Anand Prajapati
क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
gurudeenverma198
'कोंच नगर' जिला-जालौन,उ प्र, भारतवर्ष की नामोत्पत्ति और प्रसिद्ध घटनाएं।
'कोंच नगर' जिला-जालौन,उ प्र, भारतवर्ष की नामोत्पत्ति और प्रसिद्ध घटनाएं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
दिल-ए-मज़बूर ।
दिल-ए-मज़बूर ।
Yash Tanha Shayar Hu
जल बचाओ, ना बहाओ।
जल बचाओ, ना बहाओ।
Buddha Prakash
जिंदगी वो है
जिंदगी वो है
shabina. Naaz
क्रोध
क्रोध
ओंकार मिश्र
3660.💐 *पूर्णिका* 💐
3660.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भगवान बुद्ध
भगवान बुद्ध
Bodhisatva kastooriya
..
..
*प्रणय*
कृति : माँ तेरी बातें सुन....!
कृति : माँ तेरी बातें सुन....!
VEDANTA PATEL
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
# खरी बात
# खरी बात
DrLakshman Jha Parimal
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
यदि है कोई परे समय से तो वो तो केवल प्यार है
यदि है कोई परे समय से तो वो तो केवल प्यार है " रवि " समय की रफ्तार मेँ हर कोई गिरफ्तार है
Sahil Ahmad
"ओट पर्दे की"
Ekta chitrangini
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कितना कुछ
कितना कुछ
Surinder blackpen
अगर तलाश करूं कोई मिल जायेगा,
अगर तलाश करूं कोई मिल जायेगा,
शेखर सिंह
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
Suryakant Dwivedi
बेवजह की नजदीकियों से पहले बहुत दूर हो जाना चाहिए,
बेवजह की नजदीकियों से पहले बहुत दूर हो जाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"महान गायक मच्छर"
Dr. Kishan tandon kranti
घर वापसी
घर वापसी
Aman Sinha
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक
श्रंगार के वियोगी कवि श्री मुन्नू लाल शर्मा और उनकी पुस्तक " जिंदगी के मोड़ पर " : एक अध्ययन
Ravi Prakash
Loading...