हड़बोंग
क्या रे हड़बोंग किधर जा रहा है?
बाबूजी माँ के लिए दवा लेने जा रहा था लेकिन ये बताइए कि हड़़बोंग का मतलब क्या होता है और आप मुझे सदैव इसी नाम से पुकारते हैं।
हड़बोंग का मतलब बुद्धिहीन होता है परंतु तुम हड़बोंग हो नहीं।
तब आप मुझे क्यों बुलाते हैं?
क्योंकि मैं स्वयं हड़बोंग हूँ।
यह तो उत्तर सही नहीं है बाबूजी।मैं जरा माँ की दवा ले आऊं तो बात करूंगा तबतक आप हुक्का पीजिए और आते जाते लोगों से हाल चाल पूछते रहिए।
चौधरी राम दयाल सुबह सुबह अपना हुक्का लेकर बरान्डे में आ जाता और आने जाने वाले लोगों से बात करता।प्राय: लोग रुकते ही नहीं थे क्योंकि फालतू समय किसी के पास नहीं होता।कुछ रुकते बात करते और राम दयाल की मायूसी समझते।ऐसा नहीं था कि राम दयाल बेकार आदमी था बल्कि अपने समय का टेन्थ पास था,खेतिहर था,लड़के को उच्च शिक्षा दिलाई इसीलिए रोता था।
यह रोज का कार्यक्रम केवल राम दयाल ही नहीं झेल रहा था बल्कि कई और भी थे गाँव में पर वे शान्त चुपचाप पड़े रहते।
थोड़ी देर में राम दयाल की मौसेरी बहन कांता आ गई तो बड़ा खुश हो गया।
कुछ चाहिए क्या कांता?
कुछ नहीं चाहिए भइया सिवायआपके आशीर्वाद के।आज दिन में गुड़ि़या के लिए लोग आ रहे हैं तो आप घर आ जाइए।
कितने बजे आएँगे?
टाइम तो बताया नहीं उन्होने।
बड़े हड़बोंग हैं।आदमी दिन भर दरवाज़ा खोल कर बैठा इंतजार करता रहे कि पता नहीं कब आ जाएं!
चलिए अन्दर,पूड़ी सब्जी लाई हूँ,खा लीजिए।भौजी कहां गईं?
कुआं पर गप्प मारने।
बुला के लाती हूँ।
जाने दे मत बुला।रात को विदेश से फोन आया था राजिनदर का तो गई होगी शेखी बघारने सबसे। अभी कुछ पता नहीं कितना दुख झेलनाा है उसको,हँस लेने दे उसको।
ऐसा क्यों बोल रहेे हैं भइया।
देख नहीं रही क्या कि जिस जिस के बच्चे विदेश गए हुए हैं आज दो तीन साल से ,कोई आया है एक बार भी माँ बाप को देखने?
अपना राजिनदर ऐसा नहीं होगा !
क्यों ऊ का कोई और मिट्टी का बना है?तू भी हड़बोंग ही है। पूड़़ी सब्जी रख दे अन्दर और जाकर भौजी को बता दे कि वह तेरे घर आ जाए।मैं तेरे घर जा रहा हूं,वहीं खा लूंगा राधेश्याम के साथ।अभी मैं रमेश की माँ को देखने जा रहा हूँ।वह बीमार है।
राम दयाल पगड़ी लगा रमेश के घर की तरफ चला गया।
क्या हुआ शान्ती तुमको?ये हड़बोंग सुबह सुबह भागा जा रहा था तो बताया तुम बीमार हो।
तुम्हारा नया नाम खोजने की आदत अभी तक नहीं गयी।अच्छा खासा रमेश उसको तुमने हड़बोंग बोल दिया।तुम्हें मालूम है किसे कहते हैं हड़बोंग?
नहीं।
वह दवा देने के बाद मास्टर के पास गया है इसका मतलब जानने। अब झेलना तुम।
अरे ये तो बताओ कि तुम्हें हुआ क्या?
कुछ नहीं दो दिन से बुखार आ रहा था तो डाकटर के पास गयी थी।उसी की दवा चल रही है ,अब आराम है और अभी दो दिन और खानी पड़ेगी तो वही लेने जा रहा था।
चलो सब अच्छा ही रहेगा।किसी चीज़़ या मदद होगी तो रमेश से कहलवा देना।
तू खुश रहा कर राम दयाल।
खुशी चली गयी शान्ती।देख लेना एक दिन राजिनदर का फोन आएगा कि उसने वहीं विदेश में शादी कर ली।सारे अरमान धरे रह जाएँगे।
तो इसी में खुश रह।पढ़ा लिखा करम तो पूरा किया तूने।हम सब मरेंगे तो कौन सा कोई साथ जाएगा।दुलहिन आती है और बहुत सपनों की बात करती है पर मैं उसको कुछ नही कहती क्योंकि वह समझेगी ही नहीं। तू तो हड़बोंग नहीं तो तू ही समझ ले।
देख तूने भी मुझे हड़बोंग कहा !
शान्ती हंस दी।हिसाब बराबर। मेरे बेटे को मत बोलना,बहुत पररेशान है कि बाबूजी ने उसे हड़बोंग क्यों कहा?
ठीक है जा रहा हूँ कांता के घर।गुड़िया के लिए कोई लड़के आने वाले हैं।
हां आई थी मेरे पास पर मेरी बीमारी के वजह से कुछ कह न सकी।राम दयाल अच्छे से परख कर ही रिश्ता करवाना।गुड़िया बहुत प्यारी है।
राम दयाल कांता के घर राधेश्याम से बातें कर रहा था तभी बाहर आटो रुकने की आवाज आई।
राधेश्याम बाहर आ गया तो लड़के वाले ही थे।राम शरण और उनकी पत्नी।राधेश्याम नमस्कार कर उन्हें अन्दर ले आया।अन्दर लाकर राधेश्याम ने राम दयाल का परिचय कराया कि ये लड़की के सबसे बड़े मामा है।राम शरण की पत्नी इधर उधर ताक-झांक कर रही थी।कांता एक नौकर के साथ नाश्ता वगैरह लगवा रही थी।राम शरण की पत्नी बोल उठीं कि बिटिया कहां है।
बड़ी अजीब बात करती हैं आप,राम दयाल ने कहा।पहले साथ में लड़का तो ले आई होतीं!हम लड़का तो देखते पहले। कितनी उमर है और कहीं वह इंदर तो नहीं?आप नदीम पुर रहते हैं न!
जी वहीं रहते हैं। आपका कोई है वहाँ?
हमारा बीस एकड़ का फार्म है।आपने नाश्ता कर लिया तो अब आप जा सकते हैं।
राम शरण की आँखें झुकी हुई थीं,राधेश्याम और कांता के समझ में नहीं आ रहा था कि भइया ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं।
राम शरण की पत्नी ने जुबान खोली ही थी कि राम दयाल ने कहा कि मै चौधरी हूँ समझ गईं।इन्दर छह महीने जेल में आवारागर्दी के जुर्म में अन्दर था।सही है न।ठीक है आपके पास धन है पर आपके लड़के की उम्र हमारी बिटिया से दुगनी है।
हम यह रिश्ता नहीं कर सकते।
कांता तनती भाई के बगल मे खड़ी हो गई।इसी लिए शायद आपने कोई फरमाइश नहीं रक्खी और लड़के को नहीं ले आए।
औरत तो तमतमाई हुई थी परंतु राम शरण का सिर झुका हुआ था और दोनो चले गए।
राधेश्याम तुम्हारी उम्र हो गई पर कुछ भी न सीख सके। घर बुलाने के पहले पूरी जानकारी आवश्यक होती है।
राम शरण को मैं जानता हूँ। बहुत अच्छा इंसान है।
गुड़िया की शादी राम शरण से तो हो नहीं रही थी।हड़बोंग हो।उस औरत को देखा ? वह छह महीने में जान ले लेती गुड़िया की।लगता है लड़का आवारा बन गया इसी औरत की वजह से।इन्दर कोई अड़तीस साल का है।बिना लड़के से मिले चले थे शादी करने।ये तो कांता बुला लाई और खैर मनाओ तुम्हारी भौजी नहीं है यहाँ पर।कितने लाख चाहिए तुम्हे मुझे बताओ?तुम्हारा साला अभी मरा नहीं।
राधेश्याम राम दयाल के पैरों पर गिर रोने लगा।
उठ जाओ और रोते नहीं।चिंता मत करो,गुड़िया को और पढ़ने दो फिर करेंगे शादी।कांता ! ला खाना खिला हम लोगों को जो उनके लिए था।
कांता जा ही रही थी कि भौजी पधार गईं।
ई लाला काहे रो रहे हैं।ऊ लोग मना कर गए क्या?और तुम इहां बैठे अपनी हड़बोंगई ही करते रह गए!
भौजी इत्ती देर कहां लगा दी?
उ कुआं पर झगड़ा हो गया तो सुलझा रही थी।जान रही थी कि तुम इनको ले के गइ होगी तो ये सम्हाल लेंगे।
अच्छा हुआ आप नहीं आईं।भइया को पता था लड़का तो बिना कुछ कहे निकाल दिया।लड़का जेल जा चुका और बहुत उमर का और ऊपर से उसकी माँ चांडालिन लग रही थी।
आज लगता है कि इनकी पुरानी अकल लौट आई होगी।बेटा बेटी के मामले में ये हड़बोंग नहीं रहते।जो होता है वह अच्छा ही होता है।राम जी भला करें उस औरत का।चलो खाना परोसते हैं,रोओ मत लाला जी,हम गुड़िया की शादी ऐसी करेंगे कि गाँव याद करेगा।
शाम हो गयी थी।राम दयाल अपने बरान्डे में योगा की दशा में बैठा था।
रमेश आ गया। कैसे हैं मि हड़बोंग बाबूजी।
राम दयाल ने आँखें नहीं खोली परन्तु उत्तर दिया,ठीक हूँ रमेश पुत्तर।
हरीश श्रीवास्तव