हकीक़त
अच्छा। तुम्हारे सहर का दस्तूर बदल गए हैं,
तभी, वो हमारे प्यारे हमसे दूर हो गए हैं।
दूरियों ने दूर कर दी हम दोनों की सेकायते,
आंसू भी मिल कर रोने को मजबुर हो गए हैं।
सियासत में उलझ कर रह गए है सियासती शेर,
हम आशिक़ी ना कर के मशहूर हो गए हैं।
उनसे कहो मशहूर कर दे उन्हें पूरे जमाने में,
जो दौलत के आने से मग्रुर हो गए हैं।
सारा ज़माना चाहने लगा है हमें,
जिनको अपना माना उनके लिए हम नासूर हो गए हैं।
अब ख़ुशी जरूर आएगी मेरे दुश्मनों के चेहरे पर,
क्यों की इस दुनियां से अब हम दूर हो गए हैं।