हकीकत
जानें क्यों अब खुद से दूर जाने लगे हैं
अंधेरे तन्हाईयों के पास बुलाने लगे हैं।
हकीकत ने दुनिया से कुछ यूं सामना कराया
कि हर चेहरे में दुश्मन नजर आने लगें हैं।
पुलिंदा बेचैनियों का बन रहा है दिल हमारा
अपना कहने वाले भी वार कराने लगे हैं।
रवायत रिश्तों को निभाने की बदल सी गई है
औरों की खुशी के लिए अज़ीज़ को रुलाने लगे हैं।
सन्नाटा आसमान का पसर गया है दिल में हमारे
कदमों की हर आहट से हम जी चुराने लगें है।
सितारे को हासिल होने का वहम पाल रखा था
खाली हाथ की रेखाओं से जी बहलाने लगे हैं।
न रब से कोई शिकवा न कोई शिकायत है हमें
कि अब इबादत से भी दिल को हटाने लगे हैं।
डॉ सीमा ©