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6 Dec 2023 · 1 min read

हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।

हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
बहुत की हैं गलतियां पहले,अब उन्हें दोहराना नहीं है।
दोस्त बन चाहें दुश्मन ,अब किसी से घबराना नहीं है।
जो समझे वो ठीक ,अब किसी को समझाना नहीं है।
जो लोग पीछे छूट गए ,अब किसी को मनाना नहीं है।
अब समझ गए हैं वजूद अपना, दूसरों के लिए खुद को मिटाना नही है।
अनिल “आदर्श “✍🏻

Language: Hindi
573 Views
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