हंसी
हाइकु
मन सिसका
देख नीड़ पराया
हंसना भूली।
फेन झाग सी
ये ज़िन्दगी सबकी
हंसते रहो।
नहीं दांत हैं
न आंत शरीर में
ज़ीस्त हंसती।
महा नगर
प्रदूषित जीवन
हंसे बिमारी।
बहनें रोती
नित अस्मत लूटे
हंसे शैतान।
क्षण भंगुर
ज़िंदगी है नीलम
तू भी हंसले।
नीलम शर्मा