हंसी
लोग कहते हैं हंसने से फंस जाती है
चाहत की बयां उसके नजर आती है
हंस हंस के मैं हंसमुख बन गया हूं
एक भी आज तक नहीं फंसी
न जाने ये हंसी कहाँ जाती है।
संजय कुमार✍️✍️
लोग कहते हैं हंसने से फंस जाती है
चाहत की बयां उसके नजर आती है
हंस हंस के मैं हंसमुख बन गया हूं
एक भी आज तक नहीं फंसी
न जाने ये हंसी कहाँ जाती है।
संजय कुमार✍️✍️