=**= हंसी =**=
(1) ये दर्द कभी रोने से कम तो हुआ नहीं
तो आओ जरा दर्द में हंस कर ही देख लें।
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(2) तन से न मन से और न धन से दो साथ तुम
बस एक बार आप जरा हंस कर देख लें।
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(3) जब इस जहाँ में आए थे रो ही रहे थे हम
जाने से पहले इस जहाँ को हंस के देख लें।
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—रंजना माथुर दिनांक 21/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना।
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