हरियाली तीज
हरियाली तीजा का , बडा़ ही है त्यौहार
झूला झूलन न बरगद भी, कोई व्यवहार
न वो इब अगड- पडो़स अब सब खत्म
कोरोना न रही-सही कर दी कसर खत्म
डर के मारे घर से अब कोई ही न निकले
सूखे पडे हैं, अब सब ही तीज त्यौहार सारे
पहले जो हंसी ठिठोली हुआ करती थी
वो मिलन न रहा, न इब वो बात रही थी
फौजी छुट्टी आया करते, तीज त्यौहार न
छोरियों के आया करते संधारे,त्यौहार न
बचपन की बात निराली, सब इक्टठे थे
इब सबके चूल्हे न्यारे हो गये, इक्टठे थे
सवेरे- सवेरे घर, माँ हवला बनाया करती
तैयार हो बच्चे सारे ही झूल-झूला करती
वो बचपन की यादें, वो बचपन की बातें
बस सब यादों में ही याद रह गई हैं बातें..
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा