हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
अंधकार चहुँओर है, दे दो विद्या ज्ञान।।
हंस को छोड़ तू कंठ बिराजौ, याद करे इक लाल
तुहारौ।
ध्यान धरे और पांव पड़े, अब हाथ तुम्हारे है लाज
हमारौ।।
ज्ञान की ज्योति प्रदिप्त है तुमसे, दूर करो जग के अंधियारौ।
बाट निहारे है लाल तुम्हारी, मात “जटा” निज कंठ सिधारौ।।
✍️जटाशंकर”जटा”